धरे हुए हो गया है अरसा, अब ले भी लीजिये
नजराना लाये थे हम, हमें अब माफ़ कीजिये।
हो गयी हो गुस्ताख़ी, तो रहमत कीजिये
हमारी नसही, नज़राने की ही तो, जरा कदर कीजिये।
- मस्त पहाड़ी (Mast Pahadi)
No comments:
Post a Comment