Saturday, September 30, 2017

भारतवर्ष एक नयी चेतना (Bharatvarsha ek nayi chetna)


शीतल पवन, ये वन-उपवन...
ये नदियों का नीर, सेना के वीर...
मधुर मिलन, है ये संगम...
 मिलता कहा, ये सब एकसंग..
पूछा जो मेने तो सुना एक संग...
देश है वो, भरी है उसमे उमंग...
हैं जहाँ सभी धरम एक संग...
हैं बारह महीने भिन्न ऋतुओं का चलन...
हर एक बार पित्रों को नमन....
रंगीली धरती ये रंगीला वतन...
पावन है इसका हर एक कण..
बनायें इसे उत्कृष्ट हरदम...
पहुचाएं इसे चरम पर हम...
बनाये नया इसे पूर्णरूपेण सक्षम...
ऐसा नया हो हमारा भारत वर्षम.....
                                - मस्त पहाड़ी (Mast Pahadi)

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