Saturday, September 30, 2017

कविता के आँचल की छांव से....(Kavita Ke Anchal Ki chhav Se)

Hello दोस्तों! ....सबसे पहले आप का धन्यवाद जो, आप इस ब्लॉग (blog) को पढ़ रहें हैं। दोस्तों जैसा कि हमें देखने को मिलता है कि हम कुछ भी google सर्च करते हैं तो maximum result हमें english में ही मिलते हैं जिससे यहाँ पर हिंदी जानने वाले लोग उस कमी को महसूस करते हैं। आशा है कि में उस कमी को थोड़ा बहुत ही सही , पर कम करने की कोशिश करूँगा।
   
            है जो परिवर्तन की राह तेरी सचाई।
           और भरी हुई है तुझमें भी अच्छाई।
           कर पान सुधा का  प्रज्जवलित कर चिंगारी।
           आवश्यक है देश हित में हमारी हिस्सेदारी।

मानव ह्रदय और मस्तिष्क पूर्ण रूप से व्यक्ति को कार्य करने हेतु दक्ष बनाते हैं और उसका शरीर उस दक्षता का उपयोग कर उसके विचारों और कर्मों को समाज में पहुँचाकर समाज में परिवर्तन, विचारों में परिवर्तन और कार्यशैली में बदलाव लाता है। बदलाव के इस दौर में सकारात्मकता का होना अतिआवश्यक है अन्यथा परिवर्तन मूल्यहीन है।
          



" एक कविता का आँचल " के छांव में अपने विचारों के साथ........................................... " मस्त पहाड़ी "(Mast Pahadi)



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