Tuesday, October 3, 2017

गढ़वाली (पहाड़ी) पीड़ा और पलायन (Garhwali)


दर्द भी च, अर पीड़ा भी हुणी च
बात यु बतोण मा, बडी परेसानी भी हुणी च
पहाड़ो कु दुःख क़ु , बल क्वि इलाज़ नी
क्खि नी बल mbbs, न क्वि सर्जन च
अब ता देवता, ही हरयां ये पहाडु कु भलु करयां
एक बात यु भी, उठारीराई....
यु कन पीड़ा च, जेकु नो नेतोन विकाश धरयायी
पलायन, बेरोजगारी अर धकयां द्वार,
यन नी होंदु भुला, विकास
एक दाणी खाणु नी, डालयों का पत्ता लत्ता बणयाँ च
क्वि बते देया उथे, अब ता पत्ता भी नीला चैना छिन
डॉक्टर नी अस्पतालों मा, अर गुरुजी कॉलेजों मा
खोल्यां किले होला योंका, ढांचा दिखोंणु नक्सा मा
रंगस्याट होयु च, रंगिलू पहाड़ मा
गाड़ी दौड़नी बल, गोली की रफ़्तार मा
यरॉआं.. गोली ता हमारी उम्मीदों पर लगी च
जे उड़्यार छै लुकीं विकास की चिंगारी,
तखी बुझी च...
सरकार हमारी यनि, जनु सोकार हमारू च
बैठ्यूं च देयी मा, गदा-मंगरू धौर के
खैर कुछ ता हमारू भी कसूर च,
भूलणा गढ़वाली बोली भाषा, सांप-कितुला की सौर च
कुछ ता सोच नयी होली, नया जमाना का नोन्यालो की
होला जु काम का विकास मा, बसे द् यां रोजगार ते पहाड़ मा
पाणि हवा अर स्वाणी डांडी कांठी, धै लगाणी पहाड मा
अब ता सुण भी ल्यावा जी, घौर बोडी आवा जी
                                                          - मस्त पहाड़ी
                                                      (Mast Pahadi)

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