Thursday, October 5, 2017

एक तू ही तो है... ( Ek Tu Hi To Hai...)

एक तू ही तो है....

जो सबकुछ समझता है जीवन में,
ढूढ़ता है मुझको भी मन-मन में,
मुस्ककुरता वो यादों के मंथन में,
गाता वो पंछी के संग-संग में,

एक तू ही तो है....

सुबह की रोशनी के कण-कण में,
व्याप्त है गगन और नभ-जल में,
पावन प्रतिमा जिसकी बसी मन में,
हूँ मैं जिसके सहारे इस जीवन में,

एक तू ही तो है....

ठिकाना जिसका है दिल के डेरों में,
चिड़याँ चहक रही हो मानो बसेरों में,
बसंती बहार जिसके रंगीले बगीचों में,
जो जल की बूँद है कड़ी धूपों में,

एक तू ही तो है....

रंगत-संगत और जो है इफ्तिहार में,
ह्रदय गति और स्वासों की रफ़्तार में,
चलता जिससे ये जीवन है जीवन की गहराई में,
साथ जो दे इस दौर की बेवफाई में

एक तू ही तो है....
                                                 - मस्त पहाड़ी
                                                (Mast Pahadi)

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