अंगारों में सुलगता हुआ, कुछ पीले-कुछ काले दाने जिनका स्वाद लेने के लिए खरीददार एकटक निगाहें गढ़ाए हुए है। भुट्टा जो की एक किसान की मेहनत का फल है और वो मेहनत भी ऐसी कि इसकी गर्मी, नुक्कड़ पर खड़े उस व्यक्त्ति को रोजगार देती है जो की जीवन जीने के संसाधन की तलाश में इधर उधर भटक रहा था। सुलगता हुआ अंगारा और उस में तपता हुआ भुट्टा निसंदेह ही पहाड़ के संघर्ष की भांति है जहाँ विपरीत परिस्थितियों के बावजूद व्यक्ति स्वयं के अस्तित्व को प्रदर्शित कर एक कीर्तिमान स्थापित कर पाता है।
खरीददार जब काफी देर तक इस भुट्टे को देखता है तो वह भी इस के अंदर छिपे हुए मर्म को समझ जाता है कि जीवन में तपने के बाद ही कुछ अद्धभुत, अद्वितीय एवं उत्कृष्ट चीज निखर कर सामने आती है। जब वह भुट्टे को नींबू के रस में मिले नमक के साथ जीभ को उसका स्वादन करवाता है तो निसंदेह कुछ पीले, कुछ काले से वे कुरकुरे सेहत से भरपूर दाने, उसके अंतर मन को यह सोचने पर मजबूर कर देते है कि संघर्ष चाहे वह भुट्टे का हो, भुट्टे बेचने वाले व्यक्ति का हो या किसान का, स्वाद हमेशा मीठा ही देते हैं। भुट्टा अपना रंग, जीवन को त्याग खुद को एक बेहतर और पौष्टिक रूप में प्रदर्शित कर पाता है एवं अपना जीवन सफल बना पाता है।
- मस्त पहाड़ी (Mast Pahadi)
- मस्त पहाड़ी (Mast Pahadi)
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