Thursday, November 16, 2017

यु दुनिया बड़ी रंगीन च ( Yu Duniya Badi Rangeen Cha) "Garhwali"

यु दुनिया बड़ी रंगीन च….

कैथें बांसुरी त कैथें बीन च,
कैथें मिठे त कैथें नमकीन च,
यु सब जीभ अर गिच्चा की ही मशीन च,
ये मशीनल हि क्वी रंगीन त क्वी रंगहीन च
यु दुनिया बड़ी रंगीन च….

क्वी भाजणु च अर क्वी भजाणु च,
क्वी दूर-दूर बटि बस सनकाणु च,
कैकी अब फालमरी च, क्वी सदनी फरयूँ च,
क्वी अब च दुखी क्वी कभी नी रे सुखी,
यु बात बड़ी ग़मगीन च,
यु दुनिया बड़ी रंगीन च….

क्वे धर्म का पिछाड़ी च,
क्वे कर्म का अगयाडी च,
मन भित्तर जु मेल जम्यू येथें कख पाणी च,
काली आत्मा भित्तर, भैर बे जु यु सीन च,
यु दुनिया बड़ी रंगीन च….

कमु खूब रोकड़ा च, केगु रोकड़ा रूक्यो च,
केगा हाथमा लक्ष्मी च, केका सिर्फस्वेणो मा आणिच,
स्वेणावालुमु सायद दयोंणुते,बसठंडु पाणीच
यनु पक्षपात देखि मन ग़मगीन च,
यु दुनिया बड़ी रंगीन च….

कखि प्योणो पाणी नी, कखि गौं बगणा च,
केमू खाणु दाणी नी, क्वी मुषोंते खिलाणु च
केमू उडाणु पतंग नी, क्वी नोटों ते उडाणु च,
ये दुनिया मा भोत मनखी संसाधन हीन च,
फिर भी, यु दुनिया बड़ी रंगीन च….

कखि ह्यूं पड्युंच,कखि लोग घामन बेहाल च
कखि बरखाबगाणि,तकखि पड्यूअकाव च 
हर दिन ये धरतीमा औणा नया-२ भूचाल च
सुणीमिन सबकुछ हूणवालु धरतीमा विलीन च
यु दुनिया बड़ी रंगीन च….

क्वऊ टीबी हुयी च, त क्वी टीबी कुही हुयुच
क्वी खुद च नाचणु क्वऊ समय नचाणु च,
बिना पच्छयाण हाथ सब्बिदगडी मिलाणु च,
कनु चललु पता कु अपडु कु बीराणु च,
समझदारी की भि क्या क्वी मशीन च,
यु दुनिया बड़ी रंगीन च….
                                   - मस्त पहाड़ी